Mangi Tungi Maharashtra : के नासिक जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखला है, जो न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक प्रमुख जैन तीर्थ स्थल भी है। यह दो पहाड़ों से मिलकर बना है – मांगी और तुंगी, जो लगभग 4,343 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं। यह स्थान जैन धर्म के कई तपस्वियों और संतों की तपोभूमि रहा है।
मांगी तुंगी का धार्मिक महत्व
जैन धर्म में यह स्थान अत्यंत पूज्यनीय है क्योंकि यहाँ भगवान राम, हनुमान, ऋषभदेव, भरत, और अन्य कई तीर्थंकरों से जुड़ी कथाएँ जुड़ी हुई हैं। खासकर, यहां बनी हुई 108 फीट ऊँची भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊँची जैन प्रतिमा मानी जाती है और यह गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।
यह प्रतिमा 2016 में पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान स्थापित की गई थी और तब से यह तीर्थ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्थल बन गया है।
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मांगी तुंगी पर्वत का इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार, मांगी तुंगी पर्वत प्राचीन काल से तपस्वियों का ध्यान और मोक्ष स्थल रहा है। यह स्थान सिर्फ जैन धर्म ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में भी पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम और उनके अनुयायी हनुमान ने भी यहां तप किया था।
Mangi Tungi Maharashtra कैसे जाएं?
1. सड़क मार्ग से:
मांगी तुंगी महाराष्ट्र के सताणा नामक छोटे शहर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है।
- नासिक से दूरी: लगभग 125 किलोमीटर
- मुंबई से दूरी: लगभग 280 किलोमीटर
- सताणा से मांगी तुंगी के लिए टैक्सी या ऑटो उपलब्ध रहते हैं।
2. रेल मार्ग से:
निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड है। वहां से आपको सताणा के लिए बस या टैक्सी मिलेगी।
3. हवाई मार्ग से:
निकटतम एयरपोर्ट नासिक ओझर एयरपोर्ट है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा मांगी तुंगी पहुँचा जा सकता है।
मांगी तुंगी ट्रेकिंग अनुभव
अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं, तो मांगी तुंगी आपके लिए एक बेहतरीन अनुभव हो सकता है।
- दोनों पर्वतों तक पहुँचने के लिए लगभग 4,500 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं।
- यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन ऊपर से जो नज़ारा दिखता है, वह सब थकावट भुला देता है।
मांगी तुंगी में देखने लायक स्थल
- 108 फीट भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा
- सिद्धक्षेत्र गुफाएं – जहाँ अनेक संतों ने मोक्ष प्राप्त किया
- भगवान राम, हनुमान और भरत की मूर्तियाँ
- जैन मंदिर और ध्यान स्थल
- शांत और आध्यात्मिक वातावरण
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ठहरने की सुविधा
यहां जैन धर्मशालाएं और कुछ साधारण गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। अधिकतर यात्री सताणा या नासिक में रुकना पसंद करते हैं, जहां बेहतर होटल सुविधाएं मिलती हैं।
कब जाएं मांगी तुंगी?
- सर्दियों (नवंबर से फरवरी) के समय मांगी तुंगी यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
- इस दौरान मौसम ठंडा और साफ होता है, जिससे ट्रेकिंग और दर्शन दोनों सुखद होते हैं।
मांगी तुंगी क्यों जाएं?
- धार्मिक आस्था: जैन धर्म में मोक्षभूमि का दर्जा
- प्राकृतिक सौंदर्य: हरियाली, पर्वत और शांति
- इतिहास: भगवान राम से लेकर ऋषभदेव तक की गाथाएं
- ट्रेकिंग: साहसिक अनुभव के लिए उत्तम स्थल
निष्कर्ष
मांगी तुंगी महाराष्ट्र न केवल एक धार्मिक तीर्थस्थल है, बल्कि यह एक ऐसा स्थल है जहाँ धार्मिक आस्था, इतिहास, ट्रेकिंग और प्रकृति का अद्भुत संगम होता है। यहां आने वाला हर व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से जुड़ाव महसूस करता है और जीवन में कुछ क्षण शांति के अनुभव करता है। अगर आप कभी महाराष्ट्र आएं, तो मांगी तुंगी की यात्रा जरूर करें – यह अनुभव जीवन भर याद रहेगा।