लोहागड़ किला (Lohagad Fort) – लोहागड़ किला घूमने का प्लान बना रहे हैं? जानिए सबसे जरूरी बातें

🗓️ Published on: July 24, 2025 8:18 pm
Lohagad Fort

Lohagad Fort महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक किलों में से एक है, जो सह्याद्री पर्वतमाला में स्थित है। यह किला अपने समृद्ध इतिहास, शानदार नजारों और ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप इतिहास, प्रकृति और साहसिक यात्रा के शौकीन हैं, तो यह जगह आपके लिए परफेक्ट है।

लोहागड़ किला कहां स्थित है?

लोहागड़ किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में लोनावला के पास स्थित है। यह किला समुद्र तल से लगभग 1033 मीटर (3389 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। मुंबई और पुणे से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है, इसलिए यह एक लोकप्रिय वीकेंड डेस्टिनेशन भी बन चुका है।

लोहागड़ किले का इतिहास

लोहागड़ का इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवपूर्ण है। इसका निर्माण प्राचीन काल में किया गया था, लेकिन इस पर प्रमुख नियंत्रण मराठा साम्राज्य के समय हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1648 में इस किले को अपने अधीन लिया था। इसके बाद यह किला पेशवाओं के अधीन भी रहा। यह किला खासतौर पर मोनसून में देखने लायक होता है, जब चारों ओर हरियाली और बादल छाए रहते हैं।

Lohagad Fort ट्रेक – रोमांच से भरपूर अनुभव

अगर आप ट्रेकिंग पसंद करते हैं तो लोहागड़ किला ट्रेक एक शानदार अनुभव है। यह एक आसान से मध्यम स्तर का ट्रेक है, जिसे परिवार के साथ भी किया जा सकता है। ट्रेकिंग का रास्ता मावली गांव से शुरू होता है और करीब 2-3 घंटे में आप किले तक पहुंच सकते हैं। बरसात के मौसम में यह रास्ता फिसलन भरा हो सकता है, लेकिन उसी समय यहां की खूबसूरती अपने चरम पर होती है।

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किले में देखने लायक प्रमुख स्थल

  • विंध्य दरवाजा – किले का प्रमुख प्रवेश द्वार, जो मजबूत पत्थरों से बना हुआ है।
  • लोहटंका (Lohatangadi) – एक पुराना तोपखाना जो किले की सुरक्षा का हिस्सा था।
  • बुर्ज (Watch Towers) – किले के ऊंचे स्थान से चारों ओर का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है।
  • हनुमान मंदिर – किले के ऊपरी हिस्से में स्थित एक छोटा मंदिर।
  • पानी के कुंड – वर्षा जल संचयन के लिए बनाए गए प्राचीन जलस्रोत।

लोहागड़ फोर्ट जाने का सबसे अच्छा समय

लोहागड़ फोर्ट घूमने का सबसे अच्छा समय मानसून (जुलाई से सितंबर) और सर्दी के मौसम (अक्टूबर से फरवरी) में होता है। मानसून में किला हरियाली से ढक जाता है और झरनों की आवाज आपके सफर को और रोमांचक बना देती है। गर्मी के मौसम में यहां आने से बचें क्योंकि तेज धूप में ट्रेक करना मुश्किल हो सकता है।

लोहागड़ किला कैसे पहुंचे?

मुंबई से दूरी: लगभग 100 किलोमीटर
पुणे से दूरी: करीब 65 किलोमीटर
नजदीकी रेलवे स्टेशन: लोनावला (Lonavala)
ट्रेक की शुरुआत: मावली गांव से

लोनावला से मावली गांव तक आप टैक्सी या लोकल ऑटो से जा सकते हैं। उसके बाद पैदल ट्रेक की शुरुआत होती है।

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ज़रूरी सुझाव और सावधानियां

  • बारिश में फिसलन से बचने के लिए अच्छे ग्रिप वाले जूते पहनें
  • अपने साथ पानी की बोतल और हल्का खाना रखें
  • बारिश में मोबाइल और कैमरा को वॉटरप्रूफ पाउच में रखें
  • सूरज से बचाव के लिए टोपी और सनस्क्रीन भी जरूरी है
  • ट्रेक के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें और प्लास्टिक न फैलाएं

निष्कर्ष

लोहागड़ किला सिर्फ एक ट्रेकिंग डेस्टिनेशन नहीं बल्कि इतिहास, प्रकृति और शांति का मेल है। यहां का शांत वातावरण, हरियाली और ऐतिहासिक महत्व इसे हर उम्र के लोगों के लिए खास बनाता है। अगर आप महाराष्ट्र में घूमने की योजना बना रहे हैं, तो लोहेगड़ फोर्ट को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें।